खुल्फ़ा ए राशिदीन का रास्ता बदलवा
अगर सच कहूं तो प्रथम विश्व युद्ध से बहुत पहले मुसलमानों के कुछ धर्म गुरुओं को अपने साथ मिलाकर इनके सिलेबस चेंज करवा दिए थे और खुल्फ़ा ए राशिदीन का रास्ता बदलवा कर। यानी दुनिया की आवाम को इंसाफ दिलाने और अपने लिए इंसाफ का रास्ता चुनने को भूलकर सिर्फ दुआओं के सहारे विश्व विजेता बनने का शगुफा इनके हाथ में थमा दिया गया था।
मुस्लिम जगत साइंस एंड टेक्नोलॉजी में बाकी दुनिया से 50 पीछे है।
द्वितीय विश्व युद्ध से लेकर आज तक मुस्लिम जगत के बाद पूरे विश्व में ऐसा कोई संस्थान मौजूद नहीं है जो दुनिया के अगले 10 या 15 या 20 साल में जो डेवलपमेंट होंगे उनसे कैसे निपटेगा या कैसे बराबरी करेगा इस पर कोई शोधकर्ता हो इस पर इन्वेस्टमेंट किया जा रहा है आपको दूर तक नजर नहीं आएगा। सच तो यह भी है कि मुस्लिम जगत साइंस एंड टेक्नोलॉजी में बाकी दुनिया से 50 पीछे है।
मुस्लिम राष्ट्र को महाशक्तियों द्वारा इतनी इजाज़त ही नहीं है
कड़वी सच्चाई यह है कि किसी भी मुस्लिम राष्ट्र को महाशक्तियों द्वारा इतनी इजाज़त ही नहीं है कि वह कुछ ऐसे कदम उठाएं जिससे वह आगे चलकर विश्व शक्ति बनने का मार्ग प्रशस्त कर सके या इस विचार को भी अपनी जनता तक पहुंचा सके।
मुस्लिम जगत के तमाम लीडरों के पास मेरी नजर में सिर्फ इतनी इजाज़त है कि वह इस्लाम के बहाने वह अपनी जनता को आधुनिक विकास से रोकें और वह दुनिया के छोटे से छोटे देश का भी मुकाबला करने की हैसियत में रहें। और इस काम को बखूबी अंजाम दिया जा रहा है।
हाल ही में पाकिस्तान में घटी घटना को आप आसानी से समझ सकते हैं।
मुस्लिम दुनिया कितनी आजाद है । हाल ही में पाकिस्तान में घटी घटना को आप आसानी से समझ सकते हैं। अपने आप को इस्लामिक जगत का सुपर पावर कहने वाला पाकिस्तान परमाणु हत्यारों सैलेस बड़ी बड़ी मिसाइल का डेमोस्टेशन करने वाला देश अमरीका के एक सफीर (राज दूत) की धमकी पर अपने देश का प्रधानमंत्री बदल देता है उस देश का चीफ जस्टिस, आर्मी चीफ, और खुफिया चीफ, एक मामूली राजदूत की धमकी पर उनकी किताबों में लिखे गए तमाम कानून ताक पर रख देते हैं l और अपनी गुलामी को सिर झुका के तस्लीम कर लेते हैं । अपने चुने हुए प्रधानमंत्री को जनता का समर्थन होते हुए भी उठाकर बाहर फेंक देते हैं।
आज भी मुसलमान (बंद गली के आखिरी मकान) में अपना मुस्तकबिल तलाश रहा है।
इस घटना से आप मुस्लिम जगत की आजादी का अंदाजा लगा सकते हैं कड़वी सच्चाई यह है कि आपको एक बड़े बदलाव की जरूरत है जिसमें इस दुनिया की हकीकत को समझ कर और विश्व शक्तियों को विश्व शक्तियां ही मानकर अपना रोडमैप तैयार करना होगा जिसमें अभी लंबा वक्त लगेगा। अफसोस तो यह भी है कि मुस्लिम जगत को किसके द्वारा ,और कैसे बहका फुसला कर कहां ले जाया जा रहा है इसका किसी को अंदाजा ही नहीं है । आज भी मुसलमान (बंद गली के आखिरी मकान) में अपना मुस्तकबिल तलाश रहा है।
भारत के मुसलमानों को एक और गांधी की जरूरत है तलाश सको तो तलाश लो।
वक्त मिला तो इस पर अगला लेख जरूर लिखूंगा।